Gadar 2 (गदर 2) Review in Hindi: रोमांचक एक्शन और देशभक्ति का रोलरकोस्टर

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Gadar 2 Review

Spoiler Alert! 

"गदर 2" फिल्म दर्शकों को एक्शन और देशभक्ति से भरी ग़दर सीरीज की पहली फिल्म "गदर: एक प्रेम कथा" के दिनों में वापस ले जाती है। सनी देओल और अमीषा पटेल अभिनीत यह फिल्म निर्देशक अनिल शर्मा के बेटे उत्कर्ष शर्मा के लिए एक लॉन्चपैड भी है। 
 
इस फिल्म में उत्कर्ष शर्मा का किरदार यानि कि चरणजीत सिंह उर्फ ​​जीते बड़ा हो गया है और पिता के नक्सेकदम पर चलते हुए पाकिस्तान पहुँच कर उनके द्वारा 17 साल पहले किये गए कारनामे को दोहराने की कोशिश करता है। "गदर 2" की स्टोरी काफी हद तक "गदर: एक प्रेम कथा" के फॉर्मूले पर ही आगे बढ़ती है। हालाँकि, इस फिल्म में करैक्टर और प्लाट कुछ नयापन नहीं है पर फिल्म रोमांचक और एक्शन पैक्ड सीक्वेंस पेश करती है और दर्शकों को बांधे रखती है। 
 
इस फिल्म में निर्देशक अनिल शर्मा ने स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव करके और कुछ नए पात्रों को जोड़कर कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश की है। परिणाम स्वरुप हमें एक ऐसी फिल्म मिलती है जो कहीं-कहीं दर्शकों को बोर कर देती है तो कहीं-कहीं फिल्म के एक्शन सीक्वेंस उन्हें सीटियां बजने पर मजबूर कर देते हैं। कुल मिलाकर यह फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल हो जाती है, जिससे यह एक अच्छी वन-टाइम-वाच बन जाती है।
 

Plot:

कहानी को दोहराते हुए, "गदर 2" भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी की कहानी पर केंद्रित करता है। इसमें तारा सिंह (सनी देओल) और उनके बेटे जीते (उत्कर्ष शर्मा) के बीच के रिश्ते पर केंद्रित है। फिल्म में दिखाया गया हैं कि जब दोनों देशों के बीच तनाव युद्ध के खतरे की ओर बढ़ता है, लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र रावत सीमा पर भारतीय सैनिकों को आवश्यक सामान पहुंचाने में तारा की सहायता मांगते हैं। इस मिशन के दौरान, तारा और छह भारतीय सैनिक पाकिस्तान के मेजर जनरल हामिद इकबाल के द्वारा पकड़ लिए जाते हैं। मेजर जनरल हामिद इकबाल अपनी बटालियन के उन सदस्यों की मौत का बदला लेना चाहता है जो पहली फिल्म के क्लाइमेक्स के दौरान तारा सिंह द्वारा मारे गए थे।
 
इसके बाद जीते अपने पिता को खोजने निकलता है और इस खोजमे पाकिस्तान पहुंच जाता है। पर वहांपर वो खुद पकड़ लिया जाता है। अब उसको सिर्फ तारा ही बचा सकता है। फिल्म मुख्य रूप से जीते की यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है पर अंततः तारा की धमाकेदार एंट्री भी होती है। फिर दोनों बाप-बेटे मिलकर पाकिस्तान में तबाही मचा देते हैं। 
 
फिल्म का पहला भाग जीते की मासूमियत को दर्शाता है, जबकि इंटरवल के बाद उसे अपने ऑनस्क्रीन पिता की तरह एक दमदार एक्शन हीरो में बदल देता है। उत्कर्ष शर्मा का जीते का करैक्टर कुछ विशेष नहीं है पर उनके अभिनय में दृढ़ विश्वास झलकता है। सनी देओल का अभिनय तारा के किरदार की मासूमियत और कठोरता दोनों को दर्शाता है और दर्शकों को मनोरंजित करता है। वहीं अमीषा पटेल के किरदार को औसत मान सकते हैं। इसके बावजूद तारा और सकीना के बीच की केमिस्ट्री दर्शकों को अभी भी लुभाती नज़र आएगी। 
 
फिल्म में "मैं निकला गाडी लेके" और "उड़ जा काले कावां" गानों के रेक्रिएटेड वर्शन भी हैं, जो पुरानी यादों को ताजा कर देते हैं। हालाँकि "गदर 2" कहानी थोड़ी कमजोर है, पर इसके देशभक्ति और एक्शन से भरपूर रोमांचक दृश्य दर्शकों का पूरा मनोरंजन करते हैं। 
 

Conclusion:

सनी देओल की दमदार उपस्थिति और उत्कर्ष शर्मा के शानदार प्रदर्शन से प्रेरित यह फिल्म हमारी चहेती फिल्म "गदर: एक प्रेम कथा" के ही प्लाट को आगे बढाती है। हालांकि यह पात्रों के किरदारों और कहानी के संदर्भ में बहुत कुछ नया नहीं लाती है फिरभी अपने एक्शन-पैक्ड दृश्यों और देशभक्ति से भरे संवादों के दम पर दर्शकों को बांधे रखती है। पुराने जमाने के एक्शन, यादगार गाने और बेपनाह देशभक्ति के मिश्रण के साथ, फिल्म सामूहिक मनोरंजन की खुराक पेश करने में सफल हो जाती है। गति और कहानी कहने की अपनी खामियों के बावजूद, "गदर 2" एक अच्छी वन-टाइम-वाच बन जाती है, जो पुरानी पीढ़ी के साथ-साथ नई पीढ़ी के दर्शकों को भी लुभाने में सफल हो जाती है।

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धन्यवाद!


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